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Best Motivational Story in Hindi | सेवा दो मेवा पाओ | Inspirational Story Blog in Hindi

Best Motivational Story in Hindi | सेवा दो मेवा पाओ | Inspirational Story Blog in Hindi


एक सिद्ध पुरुष थे। वह जंगल में घास की झोपड़ी बनाकर रहते थे। उनके पास ऐसी तरकीब थी, जिस से वे पीतल को सोने में बदल देते थे, लेकिन वह इस तरकीब का इस्तेमाल तभी करते थे जब उन्हें इसे इस्तेमाल करने की सबसे ज्यादा जरूरत हो और वह भी जरूरतमंद लोगों के लाभ के लिए।

एक दिन एक बहुत गरीब ब्राह्मण उसके पास आया। उन्हें अपनी बेटी की शादी करनी थी और उनके पास एक पैसा भी नहीं था। उसने अपनी समस्या उस सिद्ध पुरुष को बताई। और उसे वाकई यह लगा कि वह वास्तव में संकट में है।


उसने एक पीतल का बर्तन लिया और उसको सोने में बदल दिया और उसे उस ब्राह्मण को दे दिया और उससे कहा कि वह इस बर्तन को बेच दे और उस पैसे से अपनी बेटी की शादी कर दे।


ब्राह्मण बर्तन लेकर एक सुनार की दुकान पर गया।

जब उसने सुनार को घड़ा दिखाया तो सुनार को शक हुआ, 'ऐसे दुखी आदमी के पास सोने का घड़ा है! हो या न हो, ऐसा घड़ा तो राजा जैसे लोगों के पास ही होता है।' सुनार उसे पकड़ कर राजा के पास ले गया। राजा ने पूछा, "क्या बात है! ऐसा घड़ा तुम्हारे पास कहां से आया?" तो उस ब्राह्मण ने पूरी सच्चाई बता दी।


यह सुनकर राजा के मन में लालच जागा। उन्होंने सोचा कि इस सोने बनाने की तरकीब को उसी सिद्ध पुरुष को बुलाकर सीख लेना चाहिए।


यह सोचकर राजा ने ब्राह्मण से उस सिद्ध पुरुष का ठिकाना जान कर उसको छोड़ दिया और साथ ही अपने एक सिपाही से कहा कि जाकर उस सिद्ध पुरुष को लेकर आओ। सिपाही गया और उस सिद्ध पुरुष को ले आया।


राजा ने सिद्ध पुरुष से पूछा, "क्या तुम जानते हो कि पीतल को सोना कैसे बनाया जाता है?"

"हाँ," सिद्ध पुरुष ने जवाब दिया।

राजा ने कहा, "तो फिर हमें भी यह तरकीब सिखाओ।

"नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता," सिद्ध पुरुष ने निडर होकर कहा।

"तुम जानते हो मैं कौन हूँ।" राजा ने सख्ती से कहा।

"मुझे पता है, मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ," सिद्ध पुरुष ने कहा।

राजा गुस्सा हो गया। उसने कहा, “मैं तुम्हें पंद्रह दिन दूंगा। इस बीच अगर तुम मुझे तरकीब सिखाओ तो ठीक है, नहीं तो मैं तुम्हें फांसी पर लटका दूंगा।"


उसने उस सिद्ध पुरुष को वापस भेज दिया। वह हर शाम उसके पास यह देखने के लिए सैनिक भेजता था कि वह तैयार है या नहीं। लेकिन सिद्ध पुरुष का एक ही जवाब होता था- "नहीं।"


राजा ऐसी तरकीब को छोड़ना नहीं चाहता था। उसने देखा कि इस सिद्ध पुरुष को धमकी देने से कोई परिणाम नहीं निकलेगा, इसलिए उसने दूसरा उपाय सोचा। जब सात दिन रह गए तो वह अपना भेस बदलकर उस सिद्ध पुरुष के पास गया, और उसकी सेवा करने लगा। उसने उसकी इतनी सेवा की कि वह सिद्ध पुरुष खुश हो गये।


सिद्ध पुरुष ने पूछा, "बोलो, तुम क्या चाहते हो?"

राजा जो सेवक के भेस में था उसने कहा, "मुझे वह हुनर सिखाइए, जिससे आप पीतल को सोना बनाते है।"

फकीर ने उसे वह तरकीब सिखाई और कहा, "देखो, इसका उपयोग सिर्फ जरूरतमंद और परेशानी से घिरे लोगों की भलाई के लिए ही करना।"


जैसे ही तरकीब सीख ली। सेवक का भेस धरा हुवा राजा पंद्रहवें दिन अपने महल में आया। और उसने सिद्ध पुरुष को राज-दरबार में बुलाकर कहा, "कहो, तुम तरकीब सीखने के लिए तैयार हो या नहीं?"

फकीर ने फिर एक बार निडर होकर वही जवाब दिया, "नहीं।"

"तब मैं तुम्हें फांसी दूंगा," राजा ने कहा।

"हां यकीनन।" फकीर ने उत्तर दिया।

तब राजा ने बड़े घमंड से मुस्कुराते हुए कहा, "जिस हुनर पर तुम्हें इतना गर्व है, वह मैंने सीख लिया है वो भी तुम्हीसे।"

सिद्ध पुरुष ने कहा, "राजन, तुमने यह तरकीब किसी की सेवा करके सीखी है। डराने-धमकाने से कभी भी कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।


कहानी से कहने का मतलब है, कि हर चीज डर या पैसों से हासिल नहीं की जा सकती। कभी भी किसी से भी कुछ भी सीखना या हासिल करना हो तो उसके लिए किसी के काम आना या उसका दिल जीतना बेहद ज़रूरी होता है। अगर आप उसे डरा-धमाका कर या पैसे देकर या कोई भी लुभावनी लालच देकर हासिल करना चाहेंगे तो यह गलत बात होगी। उस चीज़ से आपका कभी भला नहीं हो सकता।


कभी भी आप किसी से कुछ ऐसा सीखना या हासिल करना चाहते है जो आपके लिए ज़रूरी है, तो आपको उसे यह जाताना बेहद ज़रूरी होगा की आप उस चीज के लायक हो। क्योंकि लायक होंगे तो आपको फायदा मिलेगा। अगर लायक नहीं होंगे तो लाख तरकीबें या चीज़ें हासिल करलो आप उसे कभी सही तरह इस्तेमाल तो नहीं कर पाओगे लेकिन कभी उससे आपको वह संतुष्टि भी नहीं मिलेगी जो आपको चाहिए।


"डर या पैसा सिमित चीज़ें होती है। आज हावी होगा, कल हावी होगा लेकिन हर बार नहीं। लेकिन हमदर्दी और सेवा अनंत चीज़ें होती है। जो एक बार हावी हो जाए तो कभी मिटती नहीं।" - तेजसराज


"Fear or money are limited things. Maybe Today it will dominate, tomorrow it will dominate but not every time. But sympathy and service are infinite things. Once dominated it never fades away." - Tejasraaj


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