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Best Motivational Story in Hindi about How to Get inner Happiness in Life | नाखुश जीवन का हल

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जीवन से असंतुष्ट और बहुत सारी लालसा रखने वाला एक युवान एक वृद्ध साधु के पास गया। युवक ने शिकायत की कि उसने अपना पूरा जीवन अच्छे कार्यों के लिए समर्पित कर दिया, फिर भी उसे वो सुकून नहीं मिल रहा जो वो चाहता है।

साधु ने उसे बर्तन देकर पास के एक कुएँ से थोड़ा पानी लाने को कहा। लेकिन पानी साफ नहीं था।


"उसे स्थिर रहने दो।" साधु ने कहा। कुछ देर बाद मिट्टी और रेत बर्तन की तली में जाकर बैठ गए और पानी पूरी तरह साफ हो गया। तब उस साधु ने कहा, "आपका अपना जीवन भी इस पानी की तरह है। आप जीवन में ज़रूरत से ज़्यादा जितनी गतिविधियाँ करते हैं, आपका मन उतना ही ज़्यादा अशांत होता जाता है। अगर इसके बजाय आप थोड़ी देर के लिए खुदको मौन रखने की कोशिश करेंगे, तो आपका मन इस पानी की तरह साफ और शुद्ध हो जाएगा। ”


इस कहानी में मौन रहना इसलिए कहा गया है, क्योंकि मौन रहने से आप अपने लिए सोच-विचार करेंगे यानी खुद से बातें करेंगे। खुद से बातें करना आपके दिमाग में फंसी हुई अंदर बहुत सारी बेकार चीज़ों को दूर कर देगा जिससे आपकी लालसा बढ़ती है। जितना ज़्यादा समय आप मौन रहने में बताएंगे उतना आप अपने लिए यह यह समझ विकसित कर पाएंगे कि आपके लिए क्या सही है और क्या गलत है। और इस तरह अगर गलत चीज़ों को आप अपने से जितना दूर करते जाएंगे उतना आपका मन शांत रहने लगेगा। और जितना आपका मन शांत होगा उतना आप अपने जीवन को संतुष्ट पाओगे।


"मन जितना ज़रुरत से ज़्यादा तेज होता है उतना ही वह अस्वस्थ होता है, और जब मन नियंत्रित गति में होता है तब वह बलवान होता है और जब मन शांत और मौन रहता है तब वह दिव्य होता है।"


"The more the mind is sharper than it needs to be, the more unhealthy it is, and when the mind is in controlled motion it is strong and when the mind is calm and silent it is divine."


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